गट फिलिंग से बचके रहिए
अपनी गट फिलिंग पर यकीन ना करें
आमतौर पर हम अपनी गट फिलिंग पर यकीन करते हैं और सोचते हैं कि गट फिलिंग हमेशा हमें सही फैसले में मदद करती है, अक्सर कई बड़े फैसलों में भी हम अपनी गट फिलिंग का सहारा लेकर किसी नतीजे पर पहुंचते हैं लेकिन क्या आपको मालूम है कि ये गट फिलिंग आपको सबसे ज्यादा धोखा देती है.
मशहूर अर्थशास्त्री डेनियल केहनमैन ने अपनी किताब थिंकिंग फास्ट एड स्लो में लिखा है कि अगर आप एक चीज को बार-बार करते हैं तो वो आपके दिमाग में एक पैटर्न के तौर पर दर्ज हो जाती है और यही वजह है कि जब ठीक ऐसी ही स्थिति आती है तो अपने इस कोडिड पैटर्न की वजह से फैसले ले लेते हैं. आप इसे कई बार गट फिलिंग का नाम देते हैं और भूल जाते हैं कि इस बार स्थितियां अलग भी हो सकती है. मतलब आप पैटर्न को पकड़ने की कोशिश करते हैं और इसे गट फिलिंग का नाम देकर फैसले करते हैं. और कई बार ये गट फिलिंग आपसे गलत फैसले दिला देती है. इसलिए केहनमैन कहते हैं कि आपको सिस्टम टू यानि स्लो थिकिंग से फैसले लेने चाहिए क्योंकि स्लो थिकिंग में आपकी रिजीनिंग ज्यादा बेहतर होती है और इस थिकिंग पैटर्न के फैसले ज्यादा बेहतर साबित होते हैं.
इस बात को ऐसे समझिए कि आपको हमेशा ये बताया गया है कि अगर जंगल में आपको भालू मिल जाए तो आपको उससे आंखो में आंखें नहीं डालनी चाहिए क्योंकि इससे भालू को गुस्सा आ सकता है. आपकी गट फिलिंग कहेगी कि आप चुपचाप वहां से निकल जाएं लेकिन अगर आपको जंगल में शेर मिल जाए तो आपको अपन रणनीति बदलनी पड़ेगी. शेर की आंखों में आंखें डालनी होगी क्योंकि अगर आप शेर से बचना चाहेंगे तो शेर आपको अपना शिकार बना लेगा. इसलिए गट फिलिंग से बचिए. गट फिलिंग वहीं काम करती है जहां पहले से आप एक जैसी परिस्थितियों में बार-बार वो काम करते हैं. बिल्कुल नई परिस्थिति में गट फिलिंग आपको फैसला लेना में दिक्कत पैदा कर सकती है.

मतलब गट फीलिंग्स को डेवलप करे के वो विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न तरीके से काम करे
शानदार आर्टिकल, परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को निर्णय और कार्यप्रणाली के लिए ढालें। आपने बहुत व्यवहारिक लिखा है।